नव आशाओं का संचार दो ऋतुराज , पर्ण विहीन तरुओं का श्रृंगार कर दो ऋतुराज। नव आशाओं का संचार दो ऋतुराज , पर्ण विहीन तरुओं का श्रृंगार कर दो ऋतुराज।
मजबूती से थामों एक दूजे का हाथ। यही पुनीत भावना, करो नित्य साधना।। मजबूती से थामों एक दूजे का हाथ। यही पुनीत भावना, करो नित्य साधना।।
जल्दी सूरज निकलेगा.... जल्दी सूरज निकलेगा....
चले चलो, चले चलो कर्मपथ पर चले चलो। चले चलो, चले चलो कर्मपथ पर चले चलो।
ऐसा लगता है मानो अपनो का साथ छूट रहा है, ऐसा लगता है मानो अपनो का साथ छूट रहा है,
कोरोना महामारी से जल्द से जल्द निजात पाएँ ... और धरावासियों को फिर से प्रसन्नता दिलाएं कोरोना महामारी से जल्द से जल्द निजात पाएँ ... और धरावासियों को फिर से प्रसन्न...